इनकम टैक्स की पूरी जानकारी | All Knowledge About Income Tax
=================================================================
दोस्तों! आप Income Tax चुकाते हैं। शायद जरूर, अगर आप इनकम टैक्स भरने के दायरे में आते हैं तो हर साल आप इस Process से गुजरते होंगे।
पहले साल भर टुकड़ो-टुकड़ों में Tax भरना, फिर उसका ब्योरा Income Tax Return के रूप में सरकार को सौंपना। इन सारी Process से गुजरने के दौरान, आप Tax Planning के बारे में जरूर सोचते होंगे।
Tax Planning यानी कि कैसे टैक्स नियमों के दायरे में रहकर ज्यादा से ज्यादा Tax बचाया जाए और अपनी Savings को ज्यादा से ज्यादा बढाया जाए। ये सारी चीजें तभी संभव हो पाती हैं, जब साल के शुरुआत से ही उसकी बेहतर तरीके से Planning की जाए। ये Planning तभी बेहतर हो पाती है, जब हम उन नियमों-निर्देशों, उनसे जुड़ी concepts से परिचित हों। जितना ज्यादा हम इन बारीकियों से परिचित होते जाते हैं, उतना उनका Advantage उठा पाते हैं।
आपकी इसी जरूरत को देखते हुए हमने अपने इस लेख में Income Tax से जुड़े Basic Concepts को परिभाषित करने के साथ-साथ उनके बेहतर तरीके से उपयोग की जानकारियां साझा की हैं। तो आइए शुरुआत करते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि Income Tax है क्या?
इनकम टैक्स क्या है ? What Is Income Tax?
इनकम टैक्स यानी आयकर। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह हमारी आमदनी पर लगने वाला टैक्स है। हर साल हमें अपनी आमदनी का निर्धारित हिस्सा सरकार को देना पड़ता है। सरकार हमसे यह हिस्सा यानी टैक्स क्यों वसूलती है? सबसे पहले यही जानते हैं।
दरअसल सरकार अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर रहने वाले लोगों और संस्थानों को जो Security, Administration और नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराती है। इन सारी चीजों पर उसे बड़ी मात्रा में खर्च करना पड़ता है। इस खर्च को भारत सरकार टैक्स लगाकर पूरा करती है। भारत समेत पूरी दुनिया में टैक्स दो तरीके से लिया जाता है।
- पहला, लोगों की आमदनी में से कुछ हिस्सा लेकर यानी प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
- दूसरा, कुछ सेवाओं और वस्तुओं के उपभोग पर कुछ शुल्क लगाकर यानी परोक्ष कर (Indirect Tax)
डायरेक्ट टैक्सों में सबसे बड़ा टैक्स Income tax है। हर साल तय नियम-निर्देशों के मुताबिक सरकार देश के उन सभी नागरिकों और संस्थाओं से Income Tax वसूल करती है, जिनकी आमदनी टैक्स भरने योग्य होती है। इसमें व्यक्तिगत, संयुक्त परिवार, कंपनियां, फर्म, संगठन, संस्थाएं आदि शामिल किए जाते हैं। सभी से उसकी Income के अनुसार अलग-अलग Income Tax लिया जाता है।
भारत के टैक्सों के बारे में पूरी जानकारी मैंने एक दूसरे पोस्ट में दी है। आप उसमें सभी तरह के टैक्सों के बारे में जान सकते हैं। इस लेख में हम सिर्फ इनकम टैक्स की चर्चा करेंगे।
इनकम टैक्स वसूलने का अधिकार? Authority To take Income Tax
भारतीय संविधान की अनुसूची 7 में Central Government को ऐसे लोगों से टैक्स लेने का अधिकार दिया गया है, जिनकी Income कृषि आय से अलग है। ये Tax देश के नागरिकों और संस्थाओं पर किन शर्तों व नियमों के मुताबिक लगेंगे, इनका उल्लेख Income Tax Act,1961 और Income Tax Rules, 1962 में किया गया है। इसके अलावा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes -CBDT) भी इस संबंध में समय-समय पर नियम निर्देश जारी करता है।
कृषि आय पर टैक्स नहीं| No Tax On Agriculture Income
इनकम टैक्स एक्ट के Section 10(1) में कृषि आय को Income Tax के दायरे से बाहर रखा गया है। ये कृषि आय हम मानेंगे किसको, इसका उल्लेख section2(1A) में किया गया है। निम्नलिखित मदों से होने वाली income कृषि आय में शामिल की जाएगी।
- देश में स्थित किसी भी कृषि भूमि से मिलने वाला rent or revenue। बशर्ते, उस जमीन का उपयोग agricultural purposes के लिए ही होना चाहिए।
- कृषि भूमि पर संचालित की जाने वाली Agricultural Activities, मसलन कृषि उत्पादों की Processing, उत्पादों को Market की जरूरत के मुताबिक स्वरूप देना आदि। इनसे होने वाली Income भी कृषि आय में गिनी जाएगी।
- Agricultural Form बनाकर होने वाली खेती से आय भी कुछ शर्तों का पालन करते हुए Agriculture Income में शामिल की जाती है। Nursary में पौधे तैयार करने से होने वाली Income भी Agriculture Income में शामिल की जाती है।
- कुछ Agricultural Activities ऐसी भी होती हैं, जिनकी आमदनी का कुछ हिस्सा Agriculture Income 60 से 75%) में और कुछ हिस्सा Business Income (25 से 40%) में बंटा होता है। मसलन, Tea, Cofee Latex व cenex आदि से जुड़ी खेती व प्रसंस्करण आदि। इनमें भी Agriculture Income वाला हिस्सा टैक्स से छूट के दायरे में आता है। Business Income वाले हिस्से पर आपको Tax Slab के अनुसार कर देना पड़ता है
Incomes included for Tax Calculation
टैक्स की गणना में शामिल की जाने वाली आय
Agricultural Income के अलावा सभी प्रकार की Income पर Tax लगता है। आपकी salary और अन्य स्रोतों से हुई Total Income पर टैक्स अदा करना होता है। आपकी कुल Income की गणना में क्या-क्या चीजें शामिल की जाती हैं, ये भी जान लेते हैं।
- Salary से होने वाली Income (कंपनी या Employer से मिलने वाली रकम)
- House Property से होने वाली Income (किराये या लीज पर मिलने वाली रकम)
- पूंजी से मिलने वाली Income (शेयर या मकान आदि की खरीद-फरोख्त आदि से जुटाई रकम)
- नौकरी के अलावा Part Time Business या किसी अन्य Profession से होने वाली आय (Freelancing के कार्य भी शामिल )
- अन्य sources से होने वाली Income जैसे Saving Account , FD और Bond आदि पर ब्याज के रूप में होने होने वाली आमदनी
कितनी आमदनी पर कितना टैक्स?
सरकार हर किसी से एक ही हिसाब से Tax नहीं लेती है। लोगों की कम-ज्यादा कमाई के अनुसार ही tax rate भी कम-ज्यादा होता है। बहुत कम आय वाले लोगों पर बिल्कुलTax नहीं लगता। कुछ रोजमर्रा के खर्चों को भी Tax से बाहर रखा गया है। इसके अलावा कुछ Social व National Security से जुड़े मदों में निवेशों को भी निश्चत सीमा तक Tax Deductions का लाभ दिया गया है। तो आइए अब उन तथ्यों को समझते हैं, जिनसे हम पर टैक्स की देनदारी तय होती है। इसकी शुरुआत करते हैं Tax Slab Rate से।
कुल Income का वो दायरा जिससे Tax का Rate तय होता है उसे इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab)कहा जाता है। इसे आसानी से समझने के लिए हम वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए जारी Income Tax Slab Rate देखते हैं।
Income Tax Slab Rate (2018-19) for Individual Below 60)
Income Tax Slab (वार्षिक आय पर आधारित) | Tax Rate |
---|---|
2.5 लाख रुपए से कम Income पर | कोई टैक्स नहीं |
2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक Income पर | 5% |
5 लाख से 10 लाख रुपए तक Income पर | 20% |
10 लाख रुपए से अधिक तक Income पर | 30% |
Standard Deduction
नौकरी पेशा लोगों को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा मिलता है। ये लोग अपनी आमदनी से 40000 रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन घटाकर टैक्स की गणना कर सकते हैं।
Surcharge
| |
Educational Cess: कुल ‘इनकम टैक्स+सरचार्ज’ का 3% |
इस Table में हम देखते हैं कि Financial Year 2018-19 के दौरान अगर आपकी Income सालाना 2.5 लाख रुपए तक हुई तो कोई Tax नहीं देना पड़ेगा। इसके बाद जिनकी Income ढाई से पांच लाख रुपए के बीच होगी उन्हें अपने Income Tax Slab के अनुसार 5 % Tax देना पड़ेगा। इसके बाद पांच से दस लाख रुपए Income होने पर 20 % और 10 लाख से ऊपर कIncome होने पर 30 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि जैसे-जैसे Income का स्लैब बढ़ता जाता है, इनकम टैक्स का Rate भी बढ़ता जाता है।
ये तो रहा सामान्य लोगों के लिए Income Tax Slab Rate। इसी प्रकार Senior Citizen (60से 80 वर्ष ), Super Senior Citizen (80 वर्ष से ऊपर), Business Firm, सहकारी संस्थाओं, संगठनों, देशी कंपनियों, विदेशी कंपनियों आदि के लिए अलग-अलग Income Tax Slab Rate बजट के दौरान जारी किए जाते हैं।
सरचार्ज Surcharge
बहुत ऊंची Income वाले करदाता जो Income Tax भरते हैं, उन्हें Surcharge भी जमा करना पड़ता है। ध्यान रहे, Surcharge आपकी कमाई पर नहीं, सिर्फ आप की Income पर बन रहे Tax पर लगता है।
सामान्य करदाताओं पर सरचार्ज
- वित्तीय वर्ष 2017-18 में 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए के बीच Income Tax योग्य आमदनी होने पर 10 प्रतिशत Surcharge तय किया गया है।
- 1 करोड़ रुपए से ज्यादा Income Tax योग्य आमदनी होने पर 15 प्रतिशत की दर से Surcharge देना पड़ता है। इसके पहले के वित्तीय वर्ष 2016-17 में सिर्फ 1 करोड़ रुपए से ज्यादा Income पर ही Surchargeलगता रहा है।
कंपनियों पर सरचार्ज
- 1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए सालाना तक Income वाली घरेलू यानी देशी कंपनियों के लिए Income Tax का 7 प्रतिशत
- 10 करोड़ रुपए सालाना से अधिक Income वाली घरेलू कंपनियों के लिए Income Tax का 12 प्रतिशत।
- 1 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए सालाना तक Income वाली विदेशी कंपनियों के लिए Income Tax का 2 प्रतिशत
- 10 करोड़ रुपए सालाना से अधिक आमदनी वाली घरेलू कंपनियों के लिए इनकम टैक्स का 5 प्रतिशत।
एजुकेशनल सेस| Eucational Cess
Education Cess सभी करदाताओं पर लगाया जाता है। यह आपके ऊपर बन रहे कुल Income Tax और Surcharge के कुल योग पर लगता है। इस रकम का कुल 3 प्रतिशत आपसे Education Cess के रूप में लिया जाता है। यह मूल रूप से दो हिस्सों में आप पर लगता है 2% Education Cess और 1% Senior and Higher Education Cess। Tax Calculation के दौरान दोनों Cess अलग-अलग जोड़े जाते हैं, न कि एक साथ। हालांकि इसके कारण Total Cess में किसी तरह का अंतर नहीं आता।
इनकम टैक्स पर छूट और कटौतियां| Tax Exemption & Tax Deduction
ऊपर दिखाए Tax Slab Rate के अनुसार, अगर हमारी कमाई 2.5 लाख रुपए सालाना से अधिक है तो हमें अतिरिक्त आय पर Tax अदा करना पड़ेगा। Generally ऐसा होता नहीं है। क्योंकि Government बहुत से मदों पर हुए खर्च को आपकी Income मानती हीं नहीं। इसलिए इन पर Tax का सवाल ही नहीं उठता। इस श्रेणी की कमाई पर आपको Tax Exemption मिलता है। इसी प्रकार बहुत से Investment ऐसे होते हैं, जिन पर पूरी या आंशिक तौर पर Tax छूट दी जाती है। टैक्स भरने में इस तरह की छूट Tax Deduction के अंतर्गत आती है। इनकम टैक्स बचाने के तरीकों की संक्षिप्त जानकारी हम यहां दे रहे हैं।
एचआरए यानी किराए पर आवास के लिए भत्ता| House Rent Allowance under Section 10 (13A)
Salaried लोगों के लिए मकान किराया भत्ता या HRA Tax छूट पाने का सबसे आसान जरिया है। अगर आप किराए के मकान में रहते हैं तो उस पर लगने वाले किराया के एक निर्धारित हिस्से पर आपको Tax भरने से छूट मिलती है। यह Tax छूट वाली रकम क्या होगी यह इन तीन स्थितियों की तुलना करने पर निकाली जाएगी।
- साल भर में दिया गया किराया- Basic Salary+ महंगाई भत्ता का 10 प्रतिशत
- HRA के रूप में आपको कंपनी से मिलने वाली रकम
- आपकी Basic Salary का 40 व महंगाई भत्ता (मेट्रो सिटी में रहने वालों के लिए बेसिक सेलरी का 50 प्रतिशत और महंगाई भत्ता)
इन तीनों Option में जो भी सबसे कम होगा, उतनी रकम पर आप Income Tax में छूट के लिए Claim कर सकते है।
इसी प्रकार Transport Allowance में भी आप Tax से छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह वह Allowance होता है जो Company या Employer द्वारा अपने कर्मचारी को उसके आवास से Office/site पर आने और जाने के लिए दिया जाता है। Financial ear 2015-16 से सरकार ने Tax छूट के लिए Transport Allowance की सीमा 1600 रुपए Per Month या 19200 रुपए Per Year निर्धारित की है।
सेक्शन 80 सी के अंतर्गत टैक्स कटौतियां | Deductions under Section 80C
सामाजिक सुरक्षा से जुडे आपके कई Investment और Saving इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C (Section 80C) के तहत टैक्स कटौती के अंतर्गत आते हैं। जैसे
- Employees’ Provident Fund (EPF), Public Provident Fund (PPF), Sukanya Samriddhi Yojana, National Savings Certificate और tax-saving fixed deposits आदि। इनके माध्यम से की गई बचतों पर Section 80C के तहत टैक्स छूट का फायदा मिलता है।
- इसी प्रकार Life Insurance Premium , नेशनल पेंशन स्कीम और Tax Saving Mutual Funds (ELSS) आदि में जमा आपकी कुल 1.5 लाख रुपए तक की रकम टैक्स छूट की हकदार होती है।
- दो बच्चों की पढ़ाई में Tution Fee का हिस्सा, Home Loan की किस्त में शामिल मूलधन का हिस्सा, घर की खरीद में जो आप Stamp Duty और Registration Charge अदा करते हैं, इन सब पर भी आप Section 80C के तहत टैक्स से छूट के लिए Claim कर सकते हैं।
नेशनल पेंशन स्कीम में जमा रकम| Deductions under Section 80CCD(1B)
National Pension Scheme के टियर 1 एकाउंट में जमा की गई 50 हजार रुपए तक की रकम पर आपको Tax छूट का लाभ मिलता है। यह छूट Section 80C के तहत निवेश के अलावा होती है। यह छूट सभी Tax Slab के अंतर्गत आने वाले TaxPayers को मिल सकती है।
होम लोन के ब्याज परटैक्स छूट| Deduction under Section 24B
आपने घर बनाने के लिए अगर बैंक से Loan लिया है तो इसके 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर आपको Section 24B के तहत Tax भरने से छूट मिलती है। इसी प्रकार home improvement loan के रूप में लिए गए 30 हजार रुपए तक की रकम पर भी Tax से छूट मिलती है।
पहली बार घर खरीदने पर टैक्स छूट| Deduction under Section 80EE
अगर आपने Home loan लेकर पहली बार घर खरीदा है तो 50 हजार रुपए की और रकम पर आप Section 80EE के तहत Tax से छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह छूट Section 24B के तहत दो लाख रुपए तक के ब्याज पर Tax छूट से अलग होगी। बशर्ते Loan मंजूर होने की तिथि तक आवेदक के पास खुद की कोई residential property न हो। इस Rule का फायदा लेने के लिए जरूरी है कि खरीदा गया घर 50 लाख रुपए से ज्यादा का न हो और उसके लिए लिया गया लोन 35 लाख रुपए से ज्यादा का न हो। साथ ही वह Property 1 अप्रैल 2016 के बाद खरीदी गई हो।
मेडिकल या हेल्थ इंश्योरेंस| Deduction under Section 80D
- आप खुद पर, पति पत्नी, बच्चों और माता-पिता या अभिभावक का Health Insurance करवाते हैं तो इसके लिए जो Premium आप जमा करते हैं, उस पर Section 80D के तहत टैक्स छूट मिलती है।
- General Taxpayer अपनी पत्नी बच्चों ओर खुद के लिए सालाना 25 हजार रुपए तक के Premium पर यह छूट पा सकता है। Senior Citizen के लिए यह छूट 30 हजार रुपए तक के Premium पर मिलती है।
- Parents या अभिभावकों का Health Insurance करवाने पर अलग से 25 हजार रुपए तक के सालाना प्रीमियम पर टैक्स भरने की छूट मिलती है। माता-पिता की उम्र 60 वर्ष से ज्यादा हो तो यह छूट भी बढ़कर 30 हजार रुपए सालाना प्रीमियम पर लागू होती है।
विकलांग आश्रित की देखभाल पर टैक्स छूट| Deduction under Section 80DD
अगर आपके Parent, पति या पत्नी, बच्चे या पाल्य किसी विकलांगता के शिकार हैं जो उनकी देखभाल और इलाज आदि पर खर्च की गई 75 हजार रुपए तक की रकम Section 80DD के तहत टैक्स छूट की हकदार होती है। गंभीर विकलांगता की स्थिति में यह छूट 1.25 लाख रुपए तक की रकम पर मिल सकती है।
गंभीर बीमारी से ग्रस्त आश्रित के उपचार पर खर्च| Deduction under Section 80DDB
अगर आप खुद या आपके आश्रित परिवार में किसी को AIDS, Cancer, Perkinson जैसी गंभीर रूप से खतरनाक बीमारी हो जाती है तो इनके Treatment पर आने वाला 40 हजार रुपए तक का खर्च Tax छूट के अंतर्गत आता है। अगर Taxpayer 60 वर्ष के ऊपर है तो उसे यह छूट 60 हजार रुपए तक के खर्च पर ले सकता है। अगर वह 80 वर्ष से ज्यादा उम्र का है तो उसे इस मद में 80 हजार रुपए तक के खर्च पर यह छूट मिल सकती है।
एजुकेशन लोन पर टैक्स छूट| Deduction under Section 80E
अगर आपने खुद के लिए, अपने पति या पत्नी के लिए Education Loan लिया है तो इस पर ब्याज की रकम पर आप Section 80E के तहत टैक्स से छू प्राप्त कर सकते हैं। यह रकम किसी भी सीमा तक हो सकती है और देश या विदेश में कही भी Study लिए ली जा सकती है। शर्त यह है कि लोन full-time higher education के लिए लिया गया हो और किसी वित्तीय संस्थान या approved charitable institution से लिया गया हो।
इनकम टैक्स का भुगतान कैसे करते हैं? How to Pay Income Tax
इनकम टैक्स पेमेंट तीन तरीकों से किया जाता है। टीडीएस, एडवांस टैक्स और सेल्फ असेसमेंट टैक्स के रूप में । तीनों का संक्षिप्त विवरण यहां दिया जा रहा है।
टीडीएस| TDS
अगर आप Salaried हैं तो आपकी Salary से हर महीने उनका Employer टीडीएस के रूप में टैक्स काट लेता है। चूंकि यह आपकी Income के स्रोत से सीधे काट लिया जाता है इसलिए इसे Tax Deduction at Source यानी TDS कहा जाता है। दरअसल Employer को हर तिमाही पर सरकार के पास ये Tax जमा करना होता है, लेकिन Taxpayer पर एक साथ किसी महीने में ज्यादा बोझ न पड़े, इसलिए Employer उससे हर महीने यह Tax काटता चलता है।
एडवांस टैक्स|Advance Tax
Salary के अलावा जिनकी अन्य स्रोतों से Income पर सालाना टैक्स 10 हजार रुपए से ज्यादा बनता है, उन्हें भी हर तिमाही पर कुल Tax का तय हिस्सा जमा कर देना पड़ता है। इसे एडवांस टैक्स (Advance Tax) कहा जाता है। Advance Tax का कितना हिस्सा, किस समय सीमा के अंदर जमा कर देना होता है, इसकी जानकारी हम यहां दे रहे हैं।
15 June से पहले – Advance Tax के 15 प्रतिशत तक
15 September से पहले – Advance Tax के 45 प्रतिशत तक
15 December से पहले – Advance Tax के 75 प्रतिशत तक
15 March से पहले – Advance Tax का 100 प्रतिशत
15 June से पहले – Advance Tax के 15 प्रतिशत तक
15 September से पहले – Advance Tax के 45 प्रतिशत तक
15 December से पहले – Advance Tax के 75 प्रतिशत तक
15 March से पहले – Advance Tax का 100 प्रतिशत
सेल्फ असेसमेंट टैक्स| Self Assesment Tax
Income Tax Return दाखिल करने के दौरान आपको लगता है कि Advance Tax, TDS और TCS आदि के माध्यम से जमा की गई रकम के अलावा भी कुछ रकम आप पर Tax देनदारी के रूप में बच रही है तो इसे आप Self Assessment Tax व्यवस्था के तहत जमा करते हैं। इसे Income Tax Return भरने के पहले जमा कर देना जरूरी होता है।
Note: इन तीनों तरीकों के अलावा भी आपकी Income और जमा किए गए Tax में विसंगति के कारण Income Tax Department की तरफ से टैक्स देनदारी का Notice भी भेजा जा सकता है। उसको भी निर्धारित Charge के साथ जमा करना होता है।
Income Tax Return| इनकम टैक्स का रिटर्न
जो टैक्स आपने Government के पास जमा किया है उसके बारे में सरकार को सूचना Income Tax Return के रूप में आप देते हैं। इस Form में आप दर्शाते हैं कि पिछले Financial Year के दौरान कहां से कितनी-कितनी Income हुई और उस Income पर आपने कितना Tax जमा किया है। हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में पिछले वर्ष की Income के लिए Income Tax Return भरा जाता है। सामान्य व्यक्तियों के लिए 31 July तक और व्यवसायियों के लिए 31 September तक टैक्स रिटर्न दाखिल करना जरूरी होता है।
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने (CBDT) ने ऐसे सभी व्यक्तियों या परिवारों को Online Income Tax Return दाखिल करना अनिवार्य कर दिया है, जिनकी Income सालाना 5 लाख रुपए से अधिक है।
- फिलहाल अलग-अलग Category की कमाई के मुताबिक कुल सात प्रकार के Return Form सरकार ने तय किए हैं, जिन पर आपको Tax Payments का लेखा-जोखा भरकर भेजना होता है।
- Gneral Taxpayers के लिए इनकम टैक्स भरने की Process आसान करने के लिए विभाग ने अब मात्र एक पेज का ITR Form-1 (Sahaj) पेश किया है। ऐसे Taxpayers जिनकी आमदनी सालाना 50 लाख रुपए से कम है और रहने के लिए महज एक घर है, वे इसका उपयोग कर अपना Return दाखिल कर सकते हैं। इसके अलावा ITR-2, ITR-2A and ITR-3 को एक साथ मर्ज करके केवल ITR-2 के रूप में कर दिया गया है। ITR-4 and ITR-4S (Sugam) को अब क्रमश: ITR-3 and ITR-4 (Sugam) का नाम दे दिया गया है।
इनकम टैक्स संबंधी प्रमुख फॉर्म
Form 26AS
इसमें आपकी ओर से अलग-अलग समय पर जो Tax सरकार के पास जमा होता जाता है उसका पूरा Record दर्ज रहता है। आपके द्वारा जमा की गई Advance Tax की किस्तें और Self Asssesment Tax के अलावा आपके Employer द्वारा जमा किया गया TDS का ब्योरा भी इसमें रहता है। Income Tax Return भरने के दौरान इन Details की जरूरत पड़ती है।
Form 16
अगर आप Salaried हैं तो आपके Employer ने TDs के माध्यम से कितना Tax काटा है, आपके EPF में कितना पैसा कट रहा है, आपको कौन-कौन से Tax Allowance कंपनी की ओर से दिए जा रहे हैं, इन सबकी जानकारी Form 16 में मौजूद रहती है। Income Tax Return भरने के दौरान आपको इसकी जरूरत पड़ती है।
Form 16A
ये भी फॉर्म 16 की तरह ही होता है, लेकिन इसे आपका Employer नहीं जारी करता। जब आपके FD या एफडियों पर मिलने वाली ब्याज की रकम सालाना 10 हजार रुपए से ज्यादा होती है तो बैंक भी आपकी Income पर TDS काटता है। इसका Record वह Form 16A के रूप में आपको देता है। इसी प्रकार आपकी Freelance Services पर जो कंपनी TDS काटती है वह भी Form 16A में यह रिकॉर्ड रखती है।
इनकम टैक्स आपकी रेगुलर कमाई पर लगता है। लेकिन एक और टैक्स है जो चल-अचल संपत्ति की बिक्री पर लगता है। इस टैक्स को कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital Gains Tax) कहा जाता है। अगर आई पर जमीन, मकान, सोना या फिर शेयर बेच रहे हैं तो कैपिटल गेन्स टैक्स का ख्याल जरूर रखिए। और हां आपको ये तो पता ही होगा कि सरकार परोक्ष तौर पर भी हम सबसे टैक्स लेती है। जीएसटी ऐसा ही टैक्स है जो वस्तुओं और सर्विस पर लगता है।
0 टिप्पणियाँ