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History of gajak / chikki of jaggery, for what reason, for whom and why it was made.

गुड़ की गजक/चिक्की का इतिहास, किस वजह से बनाई गयी, किसके लिए बनाई और क्यों बनाई |

गुड़ की चिक्की, गुड़- मूंगफली की गजक या ऐसा ही कोई दूसरा नाम, लेकिन इस फूड प्रोडक्ट को भारत का लगभग हर नागरिक जानता है। सर्दी के मौसम में गुड़ की चिक्की की बिक्री रिकॉर्ड तोड़ती है। कॉलोनी के कॉर्नर से लेकर रेलवे स्टेशन तक हर जगह गुड़ की चिक्की बिक्री के लिए उपलब्ध मिलती है लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में सबसे पहली गुड़ की चिक्की किसने बनाई थी और किसके लिए बनाई गई थी। आइए गुड़ की चिक्की की मजेदार कहानी पढ़ते हैं:- 



लोनावाला स्टेशन का निर्माण कब हुआ


सन 1888 की है। सन 1857 की क्रांति का दमन करने के बाद अंग्रेज सरकार को विश्वास हो गया था कि अब कोई क्रांति नहीं हो पाएगी और भारत देश उनका स्थाई ठिकाना बन जाएगा। इसलिए उन्होंने भारत में कई तरह के विकास कार्य शुरू कर दिए थे। दुनिया का सबसे बेहतरीन रेलवे नेटवर्क इन्हीं दिनों में बनाया गया। सन 1888 में लोनावाला स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू किया गया। रेलवे लाइन भी बिछाई जा रही थी। 

गरीब रेल मजदूरों के लिए बनाई गई थी गुड़ की चिक्की

सर्दी का मौसम था और मुंबई के लोग जानते हैं कि लोनावाला का मौसम कैसा होता है। कड़कड़ाती ठंड में गरीब मजदूर काम कर रहे थे। अंग्रेज सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर तो पैसा खर्च कर रही थी परंतु मजदूरी के मामले में केवल उतना ही पैसा दिया जाता था जितना जीवित रहने के लिए अनिवार्य हो। (भारत की स्वतंत्रता के बाद पांचवे वेतनमान तक भारत सरकार भी इसी नीति के अनुसार अपने कर्मचारियों का वेतन निर्धारित करती रही) ऐसी स्थिति में मजदूरों के स्वास्थ्य और बजट को ध्यान में रखते हुए मगनलाल नाम के एक मिष्ठान निर्माता ने गुड़ की चिक्की का आविष्कार किया।

गुड़ की चिक्की बनाने के 3 प्रमुख कारण

गुड़ की चिक्की बनाने के 3 प्रमुख कारण थे। पहला- स्वास्थ्य के लिए लाभदायक, दूसरा- तुलनात्मक रूप से काफी सस्ता और तीसरा- स्वादिष्ट। गुड़ की चिक्की में भुनी हुई मूंगफली, थोड़ी-सी चीनी और देसी गुड़ का उपयोग किया जाता है। गुड़ की चिक्की सर्दी के मौसम में दैनिक पोषण का अच्छा विकल्प है। इसका आकार भी इस तरह से बनाया गया कि मजदूर आसानी से अपनी जेब में रखकर काम कर सकते हैं।

मगनलाल भाई की दुकान


मजेदार बात यह भी है कि मगनलाल भाई की दुकान आज भी संचालित है, लोकप्रिय है और एक ब्रांड बन चुकी है। मगनलाल की चिक्की की डिमांड केवल मजदूरों में नहीं बल्कि करोड़पति परिवारों में भी है क्योंकि अब उसमें कई तरह के ड्राई फ्रूट्स और फ्लेवर भी मिलाए जाने लगे।

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