महाराणा प्रताप ने विदेशों से कोई युद्ध नहीं किया था। उन्होंने अपने जीवन के अधिकांश समय अपनी मातृभूमि मेवाड़ में गुजारा किया था और मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ लड़ाई भी सिर्फ मेवाड़ के भीतर ही हुई थी। यह लड़ाई वो हाँथगढ़ की लड़ाई थी, जो 1576 में हुई थी। महाराणा प्रताप ने इस लड़ाई में मुगल सेना को हराया था, लेकिन उन्होंने बड़े नुकसानों का सामना भी किया था। इस लड़ाई में महाराणा प्रताप की सेना कुछ विदेशी सैनिकों की सहायता से थी, जो मेवाड़ में उनकी मदद के लिए आए थे। इनमें से सबसे अधिक नामी सैनिक थे जोहान जाकोब राय्डर और अमर सिंह राठौड़, जो एक प्रसिद्ध राजपूत सैनिक थे जो मेवाड़ के सेनापति थे।
महाराणा प्रताप के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उनके युद्ध हैं, जो महाराणा प्रताप ने मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ लड़े थे। ये युद्ध दो प्रमुख युद्ध थे - हल्दीघाटी का युद्ध, कुंभालगढ़ का युद्ध
हल्दीघाटी का युद्ध 1576 ईस्वी में हुआ था। मुगल सेना के साथ महाराणा प्रताप की सेना के बीच यह युद्ध लड़ा गया था। मुगल सेना के साथ लड़ते हुए, महाराणा प्रताप ने एक बहादुर रणनीति अपनाई थी। हालांकि, इस युद्ध में महाराणा प्रताप के युद्ध साथियों में कई महत्वपूर्ण राजपूत सेनापतियों की मृत्यु हुई थी।महाराणा प्रताप की एक बहुत ही प्रसिद्ध कहानी है जिसमें उन्होंने अपनी सारी संपत्ति गंवा दी और घास की रोटी खाकर गरीबी का अनुभव किया था।
1576 ईसवी में हल्दी घाटी के युद्ध के बाद, मुगल सेना ने महाराणा प्रताप को बहुत बड़ी हानि पहुंचाई थी और उनकी संपत्ति भी उनसे छीन ली गई थी। इस परिस्थिति में महाराणा प्रताप ने अपनी विशाल विस्तार वाली साम्राज्य को त्याग दिया था और भूखे पेट घास की रोटी खाकर गरीबी का अनुभव किया था।
कुंभालगढ़ का युद्ध 1591 ईसवी में हुआ था। इस युद्ध में, महाराणा प्रताप की सेना ने मुगल सेना के विरुद्ध लड़ाई जारी रखी थी। इस लड़ाई में महाराणा प्रताप की सेना को एक बार फिर से हार झेलनी पड़ी। कुंभालगढ़ का युद्ध, 1591 में महाराणा प्रताप और मुगल सेनाओं के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध खास रूप से मुगल सम्राट अकबर द्वारा महाराणा प्रताप को अपनी सम्राटीय सत्ता के अंतर्गत लाने के लिए लड़ा गया था। मुगल सेना के अगुवाई में मुस्लिम शासक मीर्जा हकीम के बेटे मानसिंह था, जबकि महाराणा प्रताप अपनी सेना के अगुवाई में थे। यह युद्ध कुंभालगढ़ के पास हुआ था जो राजस्थान के मेवाड़ में स्थित है। मुगल सेना की संख्या थी लगभग 80,000 से 1 लाख तक जबकि महाराणा प्रताप की सेना कम से कम 20,000 थी। युद्ध के दौरान मुगल सेना ने भारी हानि पहुंचाई थी लेकिन अकबर अपनी सेना को खत्म होने से बचाने के लिए चार तरफ से विधवंसक आग लगाने की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए युद्ध को समाप्त कर दिया था।इस युद्ध के बाद, महाराणा प्रताप ने मुगल सम्राट अकबर से मध्यस्थता की अपील की थी, जिससे उन्हें अपने राज्य को स्वतंत्र रूप से चलाने की अनुमति मिली थी।
महाराणा प्रताप के समय मंगोल से कुछ युद्ध हुए थे। उनमें से एक युद्ध 1576 ईस्वी में हुआ था जिसे हालांकि हल्दीघाटी युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में महाराणा प्रताप के सेनापति हाकिम खान से मिलकर मंगोल सेना को हराया गया था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप के दो बड़े भाई शक्ति सिंह और सूरज मल भी मारे गए थे। इसके अलावा और भी कुछ युद्ध हुए थे जिसमें मंगोल सेना को हराया गया था।
महाराणा प्रताप एक वीर योद्धा थे उनके पास विभिन्न प्रकार के हथियार थे, जिनमें निम्नलिखित शामिल थे:
- तलवार: महाराणा प्रताप की पसंदीदा हथियार तलवार थी, जो उन्हें सबसे अधिक प्रभावी लगती थी।
- ढाल: महाराणा प्रताप ढाल का भी बड़ा उपयोग करते थे।
- तोप: उनकी सेना में तोप भी थी जिसका उपयोग घाटों और पहाड़ों में लड़ाई करते समय किया जाता था।
- हथौड़ा: महाराणा प्रताप और उनके सेना ने अक्सर हथौड़े का उपयोग भी किया था।
- चाहा: महाराणा प्रताप और उनके वीर सिपाहियों ने चाहा का भी उपयोग किया था जो धातु के बने होते हैं और नुकीले होते हैं।
महाराणा प्रताप की कुल छह रानियां थीं।
- आजा बाई : आजा बाई थी महाराणा प्रताप की प्रथम पत्नी। उन्होंने प्रताप से अपनी बेटी अम्बा का विवाह करवाया था।
- फुलवती बाई : फुलवती बाई महाराणा प्रताप की दूसरी पत्नी थी। वे रानी का दर्जा प्राप्त करने वाली पहली राजपूतानी महिला थीं।
- चंद्रवती बाई : चंद्रवती बाई महाराणा प्रताप की तीसरी पत्नी थी। उनके साथ महाराणा प्रताप की एक बेटी थी, जो नंदिनी बाई के नाम से जानी जाती थी।
- फटेह कुंवरी : फटेह कुंवरी महाराणा प्रताप की चौथी पत्नी थी। महाराणा विजय सिंह कि बहन थी जो भोजपुरी राजा थे।
- अनंगपाल बाई : अनंगपाल बाई महाराणा प्रताप की पांचवीं पत्नी थी। वह जोधपुर के राजा उदय सिंह की बहन थीं।
- जगतसिंह कुंवरी : जगतसिंह कुंवरी महाराणा प्रताप की छठी पत्नी थीं। वे उदयपुर के बंसवाड़ा राजा विक्रमादित्य सिंह की बहन थीं।
महाराणा प्रताप के कुल में कई बेटे और बेटियां थीं। कुछ उनके पुत्र निम्नलिखित हैं:
- महाराणा प्रताप के जीवनकाल में उन्होंने 17 संतानें पैदा की थीं, उनकी वंशावली में निम्नलिखित संतानें शामिल थीं:
- अमर सिंह
- जगमल सिंह
- संग्राम सिंह
- सुरत सिंह
- भोजराज
- अर्थगिर
- जैमल सिंह
- अर्जुन सिंह
- पीर सुल्तान
- दोसू सिंह
- उदयभानु सिंह
- मदन सिंह
- विजय सिंह
- प्रताप मान सिंह
- विष्णु सिंह
- विजय सिंह II
- विक्रम सिंह
- इनके अलावा उनकी कुलदेवी वीरेश्वरी देवी को भी उनकी बेटी माना जाता है।
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