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समुंद्र का पानी खारा क्यो है इसकी क्या कारण है? I Why oceanic water are salty and undrinkable?

 समुंद्र का पानी खारा क्यो है इसकी क्या कारण है? I Why oceanic water are salty and undrinkable? 


वास्तव में, समुद्र का पानी खारा होने का कारण विभिन्न मिट्टी, पत्थर और मृदा में मौजूद विभिन्न धातुओं और अम्लों के लगातार पानी में मिलने से होता है। जब यह पानी समुद्र या सागर में जाता है, तो यह अम्लीय मिलावट के कारण खारा होता है। इसके अलावा, जल संचयन और विद्युत उत्पादन जैसी विभिन्न गतिविधियों से भी जल का मूल्यांकन खारा हो सकता है।


समुद्र का पानी खारा होने का कारण मुख्य रूप से उसमें मौजूद अनेक अलग-अलग खनिजों और यौगिकों का होता है। समुद्र में जल का एक संकलन होता है जिसमें विभिन्न खनिजों और अन्य यौगिकों की मात्रा भी अधिक होती है। समुद्र में मौजूद खनिज जैसे कि नाइट्रेट, सल्फेट, क्लोराइड, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम आदि उसे खारा बनाते हैं।


इसके अलावा, समुद्र के जल में नगण्य प्रकार के जीवाणु, खनिज और अन्य यौगिक भी होते हैं जो उसे खारा बनाते हैं। इन खनिजों और यौगिकों के मौजूद होने के कारण, समुद्र का पानी खारा होता है।


आमतौर पर, समुद्र के पानी का खारापन इसके जलजीवाणु और खनिजों के संचय के कारण ज्यादा होता है, जो उसे नहीं पीने योग्य बनाते हैं। इससे, समुद्री पानी का खारापन बढ़ जाता है जिससे उसमें जीवन के लिए उपयुक्त तत्वों की मात्रा कम हो जाती है।



ज्वालामुखी द्वारा उत्पन्न गर्म पानी समुद्र में मिलता है जो आमतौर पर सामान्य समुद्री पानी से अधिक गर्म होता है। इस प्रकार के जल को खारा बनाने के लिए, समुद्री पानी और गर्म जल को एक साथ मिलाया जाता है जिससे एक समग्र विलय होता है। इसके लिए विशेष तरह की संरचनाएं या पाइप इस्तेमाल की जाती हैं जो गर्म जल को समुद्री पानी से मिलाने के लिए उपयोग की जाती हैं। इस प्रक्रिया को डीमिंग (dilution) कहा जाता है जो गर्म जल के खारे प्रभाव को कम करता है। इस प्रकार समुद्र में स्थित ज्वालामुखी से उत्पन्न गर्म पानी को खारा किया जाता है।



समुद्र में स्थित ज्वालामुखी के प्रभाव समुद्र और उसके आसपास के परिसर पर निर्भर करते हैं। ज्वालामुखी के निकटतम समुद्री क्षेत्र में पानी का तापमान बढ़ जाता है और पानी की तत्काल परिस्थिति बिगड़ जाती है। इससे जीव जंतुओं, जैव और अजैव उपजाऊ जीवाणुओं और अन्य समुद्री जीवों के लिए जीवन धन का संकट होता है। ज्वालामुखी से उत्पन्न होने वाले वाष्प और धुंआ समुद्र के ऊपर चढ़ जाते हैं और वायुमंडल को भी प्रभावित करते हैं।


इसके अलावा, ज्वालामुखी समुद्र में असंतुलितता ला सकती है जो जल प्रवाह को बदल सकती है। यह ज्वालामुखी से उत्पन्न होने वाली लवा और अन्य तत्वों के समुद्र में मिलने से समुद्र के केमिकल गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, ज्वालामुखी विस्फोट और भूमिगत गतिविधियों के कारण समुद्र तटों के लिए खतरा बना रहता ही।

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